अब जल्द ही देश में विकास का तूफान आएगा जो अंदरूनी समस्याओं की वजह से मुहाने पर खड़ा हुआ था।

व्यंग्य
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संजीव परसाई कहे  खरी - खरी  
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#बधाई हो बंधुवर, आखिर दंगा हो ही गया। बहुत दिन हो गए थे मारो काटो, लूटो पीटो की हुंकार सुने हुए। कलेजे में ठंडक पड़ गई, अब चीखों और संताप से मनोरंजन चलेगा। बधाई नीच मिश्रा को जिसकी प्लानिंग पूरी सफल रही, अब जल्द ही नीचता पुरुस्कृत होगी और वो अब बहुत बड़ा नेता बनेगा। उसे चुनाव में हार को भूलना अब आसान होगा, क्योंकि एक चुनावी हार के बदले हिंदुस्तान को जो हराया है।


#बधाई उसके सर परस्तों को भी जो अब ये साबित कर सकेंगे कि वो ही सही थे, और वो ही सही रहेंगे। अब कुछ दिन लोग सवाल नहीं पूछेंगे, अब जल्द ही देश में विकास का तूफान आएगा जो अंदरूनी समस्याओं की वजह से मुहाने पर खड़ा हुआ था।


#बधाई सीएए के समर्थकों को कि उनका मनपसंद कानून और सख्ती से लागू हो सकेगा और मुसलमान देश से बाहर चले जायेंगे। अब उनको अपनी जिद और ताकत साबित करने के लिए न तो अफवाहें फैलाना पड़ेंगी न ही लोगों के हाथ पैर तोड़ने की जहमत उठाना पड़ेगी।


#बधाई विरोधियों को भी, जिन्होंने धैर्य नहीं रखा और अपने बीच अपराधियों और षड्यंत्रकारियों को घुसने से नहीं रोक पाए। अपनी बात को देश के संदर्भ में कहने के बजाए खुद तक ही सीमित रखा। मुद्दों पर विरोध करते हुए वे कब व्यक्ति विरोध पर आ गए उनको पता ही नहीं चला। बधाई पुलिस को भी जिनको कुछ न करने के लिए सम्मानित किया जाएगा। पत्थर रखे हाथों में तो हथकड़ी लगेगी नहीं, सो पत्थर फेंकने के लिए दंगाइयों को खुला छोड़ दिया। हो सकता है ये पत्थरबाज कल किसी पार्टी के बड़े नेता बनकर उभरें और उनकी तरक्की में सहयोगी बनें।


#बधाई का हकदार आम आदमी भी है, अब आगे जो होगा वो उसके हित में ही है। ज्यों ही बेरोजगार अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन करेंगे तो नॉकरी पेशा लोग उनको मारने आएंगे। किसान धरना करेंगे तो व्यापारी मारेंगे, व्यापारी करेंगे तो खरीददार मारेंगे, कर्मचारियों को अधिकारी और अधिकारियों को नेता मारेंगें। लब्बोलुबाब कुछ यूं है कि अब जो भी अपनी असहमति दिखायेगा तो कोई न कोई उसे मारने जरूर निकलेगा। सो कोई किसी का विरोध अब नहीं करेगा न ही कोई रास्ता रोकेगा।


#बधाई गोदी मीडिया को भी कि उनकी मेहनत अंततः रंग लाई। बस थोड़ी टाइमिंग गलत हो गई। ट्रम्प दिल्ली में थे और दुनिया भर में थू थू हो गयी। मज़बूरी में दंगों को भी दिखाना पड़ा, हालांकि मालिक बाद में खबर लेंगे, लेकिन अब जो हो गया सो हो गया। अभी भी काम बाकी है इतना जहर भर दो कि कुल्ला तक उसी से करना पड़े। इसके लिए जरूरत पड़े तो नया टेलेंट लाओ, सोशल मीडिया में भी लगाओ पर इस लोकतंत्र को इतना जहरीला बना दो कि लोग  इसे छूने से भी डरें।


#बधाई उस बुद्धिजीवी तबके को भी जो लोकतांत्रिक व्यवस्था की रगों से रिसते खून को महज लाल रंग समझ रहा था। लेकिन ये खून  हिंदुस्तान के हृदयस्थल से निकलने वाला खून है, गाढ़ा और सुर्ख लाल।
कोई न रुकना, न पुलिस, न दंगाई, न पत्रकार, न नेता, न धुर विरोधी न समर्थक। अभी सिर्फ मौतों से सिर्फ 11 परिवार सड़क पर आए हैं। पुलिसवाले के मासूम बच्चे जब आपसे अपने पिता के असमय जाने की वजह पूछें तो झिड़क देना। उनसे कहा देना कि उनके भविष्य या उनके पिता की साँसों से हमारी महत्त्वाकांक्षा और ईगो अधिक जरूरी है। हम इससे एक ऐसे देश का निर्माण करने जा रहे हैं जहां सांसें भी सरकारी होंगी और वो भी बिल्कुल मुफ्त।


आपको बधाई हो नए देश में आपका स्वागत है.....


@ Sanjeev Persai