थिएटर ऑफ़ रेलेवंस’- नाशिक नाट्य कुम्भ!


    संविधान संरक्षण,इंसानियत और न्याय’ चेतना का अलख जगाने के लिए 21,22,23 फ़रवरी को नाशिक,महाराष्ट्र में तीन दिवसीय ‘थिएटर ऑफ़ रेलेवंस नाट्य कुम्भ’ ! का आयोजन किया गया है रंगचिंतक मंजुल भारद्वाज का क्लासिक नाटक ‘गर्भ’ विध्वंसक भूमंडलीकरण के दौर में ‘वस्तु’ बने मनुष्य और वस्तुकरण के जाल में फंसे समाज में इंसानियत जगाता है!
आज वर्चस्ववाद की बलि चढ़ गया है प्रकृति के सह-अस्तित्व का सुविचार, लालच ने मनुष्य और समाज को विकारों से भर दिया है. इसलिए समाज में हिंसा,द्वेष,घृणा,वैमनस्य के चीत्कार ने ‘इंसानियत’ के स्वर को कुंद कर दिया है.  आओ अपने आत्महीन बोध से पैदा होते विकार यानी विष से स्वयं को मुक्त करें. अपने क्षेत्रवाद,भाषावाद,व्यक्तिवाद में जकड़े ‘इंसान’ को मुक्त करें! मनुष्यता में इंसानियत का संचार कर ज़िंदगी को खूबसूरत बनाएं!
 परशुराम साईंखेडकर नाट्य मंदिर, नाशिक मैं इस कार्यक्रम का आयोजन किया है इसमें  
कलाकार:अश्विनी नांदेडकर, बबली रावत ,योगिनी चौक, सायली पावसकर, कोमल खामकर, तुषार म्हस्के ,स्वाती वाघ, प्रियंका कांबळे,सुरेखा, बेटसी अँड्र्यूस आणि सचिन गाडेकर.की मूमिका होंगी


प्रकाश संयोजन : संकेत आवले



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