पुनः सत्य सुन्दर शिव को सँवारती

मुक्ति


तोड़ो, तोड़ो , तोड़ो कारा
पत्थर की निकालो फिर,
गंगा जल धारा!


गृह गृह की पार्वती!
पुनः सत्य सुन्दर शिव को सँवारती
उर उर की बनो आरती !
भ्रान्तों की निश्चल ध्रुवतारा!
तोड़ो तोड़ो तोड़ो कारा!


'निराला'