मस्जिद में मंत्रोच्चार के बीच अंजू की शादी


कुछ वक्त पहले जब अंजू के पिता का देहांत हुआ था, तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि अंजू की आगे की जिंदगी में कुछ ऐसा होने वाला है जो समाज के लिए मिसाल बन जाएगा.


अंजू के पिता अशोकन करीब दो साल पहले चल बसे थे. परिवार बेहद गरीब है. माली हालत कमजोर होने की वजह से अंजू की बेवा मां बेहद चिंतित थीं कि बेटी की शादी कैसे होगी? शादी के खर्च का इंतजाम नहीं हो पा रहा था. मां के बहुत प्रयास के बाद भी शादी के खर्च का जुगाड़ नहीं हो पा रहा था. अंतत: उन्होंने मस्जिद के लोगों से गुहार लगाई कि उनकी बेटी की शादी में मदद कर दें.



भारतीय समाज में पुरानी मान्यता है कि कोई आपके दरवाजे आए तो उसे नाउम्मीद नहीं करना चाहिए. मस्जिद कमेटी के सचिव नजमुद्दीन ने इस मां की समस्या कमेटी के सदस्यों के सामने रखी. कमेटी ने अंजू की मां का सम्मान किया और परिवार की मदद करने का फैसला किया. उन्हें भरोसा दिया गया कि उनकी बेटी की शादी धूमधाम से कराई जाएगी.


शादी के लिए 19 जनवरी की तारीख तय हुई. मस्जिद परिसर को फूलों से सजाया गया. मस्जिद में ही मंडप तैयार किया गया. लोगों के बैठने और खाने पीने का इंतजाम किया गया. सैकड़ों हिंदुओं, मुसलमानों और इसाइयों की उपस्थिति में मंत्रोच्चार की गूंज के बीच अंजू ने शरद के साथ फेरे लिए. समिति ने यादगार के तौर पर अंजू को सोने के कुछ तोहफे भी दिए. इस दौरान एक हजार लोगों के खाने का इंतजाम किया गया.


दुनिया में सबसे ज्यादा समझदार लोग मिलजुल कर एकजुटता से रहते हैं, मूर्ख ओर घृणास्पद लोग यहां वहां काल्पनिक दुश्मन खोजते रहते हैं.


जो सिरफिरे कहें कि आपको फलां धरम से खतरा है, उनसे कहिए कि हमको आपकी इस फिरकापरस्त सोच से खतरा है और आपको भी इसी सोच से खतरा है.


कहीं किसी क्षेत्र में किन्हीं लोगों से खतरा दिखता है तो वह सियासत की उपजाई समस्या है. वह जनता और जनता के विश्वास की समस्या नहीं है.


यह घटना केरल के अलप्पुझा यानी अलेप्पी की है. जितनी खूबसूरत यह घटना है, अलेप्पी जगह भी उतनी ही खूबसूरत है. यहां के लोग भी बहुत प्यारे हैं. कभी वक्त लगे तो अलेप्पी और मुन्नार के शिकारे में रात बिता आइए.


★हिंदुस्तान की कहानी.
Krishna Kant