कश्मीर में पोर्न देखने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल होता था। नीति आयोग सदस्य सारस्वत

नीति आयोग के ऐसे सदस्य को बर्खास्त कर, केस चले 


नीति आयोग के एक सदस्य वी.के. सारस्वत ने कहा है कि कश्मीर में पोर्न देखने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल होता था।उनका यह भी कहना है कि वहां इंटरनेट बंद होने से अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं पड़ा। जमीनी हकीकत यह है कि 5 अगस्त से कश्मीर में इंटरनेट बंद है और सभी तरह के कारोबार पर इसका बहुत बुरा असर पड़ा है। तकलीफदेह बात यह है कि नीति आयोग का एक सदस्य, जिसे कश्मीर की अर्थव्यवस्था को लेकर फिक्र होनी चाहिए थी, उसे कश्मीर में लोगों के गंदी फिल्में देखने पर फिक्र हो रही है, और कारोबार का कुचला जाना दिख ही नहीं रहा है।


दिक्कत यह है कि कश्मीर को अलग-थलग करके बदनाम करने की यह हरकत इस बात को पूरी तरह अनदेखा कर रही है कि बाकी देश में इंटरनेट पर पोर्न देखा जाता है या नहीं। यह कश्मीर के खिलाफ एक हिंसक पूर्वाग्रह है जो वहां के लोगों को बदनाम करने की सोची-समझी हरकत है। नीति आयोग के इस सदस्य को, या नीति आयोग को बाकी देश के बारे में भी आंकड़े जारी करने चाहिए कि किस-किस प्रदेश में नेट का इस्तेमाल किस हद तक पोर्नोग्राफी देखने के लिए होता है। और फिर इसमें ऊपर आने वाले तमाम राज्यों में भी इंटरनेट बंद कर देना चाहिए ताकि वहां भारतीय संस्कृति बचाई जा सके। नीति आयोग का सदस्य तकलीफ से गुजर रहे एक राज्य के बारे में यह कहे कि वहां इंटरनेट न हो तो क्या फर्क पड़ता है, वैसे भी आप इंटरनेट में क्या देखते हैं, गंदी फिल्में देखने के अलावा कुछ नहीं करते आप। भारत सरकार के इस सर्वोच्च तथाकथित नीति-निर्धारक आयोग के सदस्य का ऐसा बुरा हाल शर्मनाक है, और अगर यह कोई सभ्य लोकतंत्र होता, तो अब तक यह सदस्य बर्खास्त हो चुका होता। लेकिन आज हिन्दुस्तान में केन्द्र सरकार को पसंद और नापसंद बातों को लेकर लोग कितने भी आक्रामक हो सकते हैं, अगर वे सरकार के रूख का समर्थन करते हैं।  हमारा ख्याल है कि कश्मीर की जनता में से कोई इस बयान के खिलाफ अदालत में राज्य की मानहानि का मुकदमा भी अदालत में दायर कर सकते हैं क्योंकि इससे प्रदेश की तस्वीर पूरी दुनिया में खराब बन रही है। 
आज जिन लोगों को लगता है कि कश्मीर में इंटरनेट बंद होना कोई बड़ी बात नहीं है, उन लोगों को यह भी समझना चाहिए कि उनकी अपनी जिंदगी भारत के दूसरे हिस्सों में बिना इंटरनेट कैसी रह जाएगी? आज कश्मीर के साथ ऐसी बदसलूकी हिन्दुस्तान के उन लोगों को अधिक सुहा रही है जिनको कश्मीर का एक इंच हिस्सा भी पाकिस्तान को देना कुबूल नहीं है। अपने देश के एक हिस्से को बाकी देश का दुश्मन मानें, उसे गद्दार मानें, और फिर वहां की जमीन को अपना बताएं। तो कश्मीर महज एक जमीन का नाम नहीं है, वह वहां के इंसानों का भी नाम है, वहां के इतिहास, वहां की संस्कृति, वहां के धड़कते बदनों के भीतर अरमानों का नाम भी है। कश्मीर को गंदी जुबान में गालियां देकर इस तरह बदनाम करना एक शर्मनाक हरकत है, और यह बात अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि ऐसा बयान देने वाला नीति आयोग का एक सदस्य है, उसे बर्खास्त भी करना चाहिए, और उसे अदालत में भी घसीटना चाहिए। 
-सुनील कुमार Sunil Kumar