कन्हैया की लोकप्रियता ने प्रधानमंत्री को चिंता में डाल दिया है. 


क्या सच में कन्हैया से डरे हुए हैं पीएम मोदी? 


कन्हैया कुमार की बढ़ती लोकप्रियता से मोदी जी चिंता में हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने खबर दी है कि जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया की लोकप्रियता ने प्रधानमंत्री को चिंता में डाल दिया है.


एजेंसी ने लिखा है कि 'पीएम मोदी के एक करीबी सहयोगी का कहना है कि कन्हैया कुमार की बढ़ती लोकप्रियता राजनीतिक रूप से उन्हें कमजोर कर रही है.' 


खबर कहती है कि 'युवाओं और पहली बार वोट देने जा रहे वोटरों के बीच कन्हैया कुमार की लोकप्रियता से मोदी सरकार चिंतित है. इसलिए केंद्र सरकार कन्हैया कुमार के व्यक्तिगत जीवन और उन्हें मिलने वाली फ़ंडिंग पर भी क़रीब से नज़र रख रही है.'


खबर में चिंता का कारण बताया गया है कि Kanhaiya Kumar के भाषण मुख्यत: इस बात पर केंद्रित रहते हैं कि कैसे सरकार ने युवाओं को धोखा दिया, रोजगार देने में फेल रही और कैसे भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर हमला किया जा रहा है. कन्हैया कुमार के लगाए नारे आज सभी प्रदर्शनों में इस्तेमाल हो रहे हैं. कन्हैया ने बिखरे विपक्ष को मजबूती दी और युवाओं के बीच सवाल पैदा किया. उनके भाषण सोशल मीडिया पर लाखों लोग सुनते हैं और वे कमजोर विपक्ष की कमी को पूरा करते हैं. 


कन्हैया उन मुद्दों को लगातार आम भाषा में उठाते हैं जो सरकार के वादे थे और जिन्हें पूरा नहीं किया गया. कन्हैया के हाल के भाषण सुनिए तो विपक्ष से वे अकेले नेता हैं जिन्होंने जनता को ठीक से समझाया है कि सीएए और एनआरसी का खेल क्या है? 


यह बात तो सही है कि जेएनयू में अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले कन्हैया कुमार ने आजादी का जो नारा लगाया था, वह आज हर कैंपस में गूंज रहा है और 'भारत के टुकड़े करने' की कामना करने वाले नकाबपोश अब तक पकड़े नहीं गए. जेएनयू में नये नकाबपेश घुसे और वे एबीवीपी के सदस्य के रूप में धरे गए. इसलिए मोदी जी की चिंता स्वाभाविक है.


इस खबर से यह भी सवाल उठता है कि क्या कैंपसों पर इसीलिए सुनियोजित हमले किए जा रहे हैं ताकि युवा नेतृत्व की संभावनाएं ही खत्म कर दी जाएं? आज ही गुरु रवींद्रनाथ टैगोर की विश्वभारती में एबीवीपी के हमले की खबर है. कैंपसों में ये हमले क्यों किए जा रहे हैं?


क्या हर कैंपस में चुनाव इसीलिए बंद किए जा रहे हैं ताकि युवा नेता आगे न आ पाएं? 


ताजा उदाहरण चंद्रशेखर रावण का है जिन्हें क्यों जेल में डाला गया, यह समझ से परे है. प्रदर्शन करने मात्र से कौन सा अपराध हो गया था कि उन्हें जेल में डाल दिया गया? 


अगर रॉयटर्स की यह खबर सही है तो आप सोचिए कि एक बड़ी मजबूत सरकार एक ऐसे लड़के से डरी हुई है जो संसद का सदस्य तक नहीं है और कुछ महीने पहले चुनाव हार चुका है! 


Krishna Kant ji