गोडसे की पूजा करने वाली जो जनता तैयार की गई है, यह युवक उसी में से एक है जो 'गोली मारो सालों को' के आह्वान पर उतरा है।

गांधी की पुण्यतिथि के दिन गांधी पर फिर से गोली चलाई गई। राजघाट जा रहे निहत्थे लोगों पर फायरिंग गांधी पर एक और गोलीबारी के सिवा कुछ नहीं है।


गोडसे की पूजा करने वाली जो जनता तैयार की गई है, यह युवक उसी में से एक है जो 'गोली मारो सालों को' के आह्वान पर उतरा है।


इस देश को हत्यारों और आतंकियों की सैरगाह बनाने की साजिश रची जा रही है।



पुलिस के सामने पिस्तौल लहराकर फायरिंग कोई सामान्य बात नहीं है। पुलिस की मौजूदगी में गुंडों का जेएनयू में घुसकर पीटना भी सामान्य बात नहीं थी। कोई मुझे बताए कि फासीवाद और कैसा होता है?


कानून व्यवस्था को सस्पेंड कर दो और न्याय भीड़ के हवाले कर दो। जनता नस्लवाद और नफरत में पागल हो जाए, आपस मे लड़ने लगे, एक दूसरे की जान की प्यासी हो जाए, जनता दो ध्रुवों में बंट जाए, इससे अलग क्या है फासीवाद?


देश के गृहमंत्री उस दिल्ली में भी सुरक्षा दे पाने में नाकाम हैं जहां वे खुद रहते हैं। जेएनयू के नकाबपोश गुंडों में से अब तक कोई पकड़ा नहीं गया। आज मार्च निकाल रहे लोगों पर एक शख्स ने गोली चलाई है।


दुखद है कि 130 करोड़ की जनसंख्या में कोई जिंदा व्यक्ति नहीं बचा है जो सरकार और गृहमंत्री की जवाबदेही तय करा सके। देश सुरक्षित हाथों में नहीं, यह देश सबसे धूर्त हाथों में है।


सांसद अनुराग ठाकुर ने नारा लगाया गोली मारो सालों को और तीन दिन बाद निहत्थी भीड़ पर गोली चला दी गई। क्या एक सांसद की जिम्मेदारी तय होगी? क्या उन पर कार्रवाई होगी? जवाब है नहीं।


देश की जनता को देश की सरकार आपस मे लड़ाकर बांट रही है।


बहुत पीड़ा से कहना चाहिए कि हम आपस मे एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाएंगे तो यह देश बर्बाद हो जाएगा। यह सरकार एक भी दिन सत्ता में बने रहने लायक नहीं है।


Krishna Kant