★गण के अधीन हो तंत्र

★गणतंत्र दिवस 
    शुभकामनाएं
इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारा गणतंत्र विश्व के सबसे स्थायी गणतंत्रों में एक है, लेकिन यह भी सही है कि 67 साल पुराने इस गणतंत्र से जनता की अपेक्षाएं सिर्फ आंशिक रूप से ही पूरी हुई है। आर्थिक-सामाजिक बराबरी, सस्ते और सुलभ न्याय, ज़िम्मेदार राजनीतिक व्यवस्था, मानवीय पुलिस और प्रशासनिक ढांचे और धार्मिक सहिष्णुता के सपने अबतक पूरे नहीं हुए। देश में आज असंतोष, हताशा और विद्रोह का जो माहौल बन रहा है, वह इस गणतंत्र के भविष्य के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। वह चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, लोक-लुभावन वादों और नारों के साथ सत्ता में आती तो है, लेकिन सत्ता में आने के बाद निरंकुश होकर अपने ही वादों के खिलाफ आचरण करने लगती हैं। कहीं कोई अंकुश या भय नहीं। हमारा गणतंत्र ज्यादा विश्वसनीय, ज्यादा ज़िम्मेदार बनेऔर जनता की अपेक्षाओं पर पूरी तरह खरा उतरे, इसके लिए ज़रूरी है कि पार्टियों के चुनाव घोषणा-पत्रों और वादों को बाध्यकारी बना दिया जाय और उनके उल्लंघन को अजमानतीय अपराध। सत्ता में आने के बाद जो राजनीतिक दल अपने कार्यकाल में अपना चुनाव घोषणापत्र लागू नहीं करे या उसके विपरीत आचरण करे, उसकी मान्यता समाप्त कर दी जाय और जिन लोगों पर उसकी नीतियों को लागू करने की ज़िम्मेदारी है, उनके ख़िलाफ़ केस दर्ज़ कर न सिर्फ उन्हें जेल भेजा जाय, बल्कि उन्हें भविष्य में चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया जाय। अगर यह नहीं हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब सत्ताधारी दलों की संवेदनहीनता और मनमानी की वज़ह से यह देश हताशा, विद्रोह और गृहयुद्ध की आग झेलने को मज़बूर हो जाएगा।


By -  Dhruv Gupt