देश चलाने की बजाय बेच रहे हैं -रघु_ठाकुर


#वाम_समाजवादी_दलों_का_8_जनवरी_आमहड़ताल_का_समर्थन


भोपाल । वामपंथी तथा समाजवादी दलों ने भारत सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को देश भर मे होने जा रही आम हड़ताल का समर्थन किया और संघर्ष को देश बचाने का एकमात्र रास्ता बताया ।
● पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये वरिष्ठ समाजवादी नेता, #लोकतान्त्रिक_समाजवादी_पार्टी के संरक्षक #रघु_ठाकुर ने कहा कि विदेशी और देसी पूँजीपतियों के मुनाफ़ों की खातिर सार्वजनिक क्षेत्र को मिट्टी के मोल बेचा जा रहा है । यहाँ तक कि जो जनहित के जन उपयोगी उद्यम हैं उनका भी निजीकरण किया जा रहा है । बैंक, रेल्वे, वायु सेवा, सड़क, बिजली और पानी सभी को निजी क्षेत्रो मे देकर आम जनता के लिए महंगा किया जा रहा है । उन्होने कहा कि सरकारें देश चलाने के लिए बनती थीं, ये देश बेचने के काम मे लगे हैं ।
● #सीपीएम के राज्य सचिव #जसविंदर_सिंह मे केंद्र सरकार पर देश की पूरी अर्थव्यवस्था को ही गर्त मे पहुंचा देने की बात कही और कहा कि जिसे मंदी कहा जा रहा है वह जनता की आमदनी छीजने और नतीजे मे क्रय शक्ति के सिकुड़ने की वजह से है । मगर बजाय जनता को राहत पहुंचाने के मोदी सरकार रिजर्व बैंक के आपदा कोष मे पौने दो लाख करोड़ रुपये निकाल कर उसमे से डेढ़ लाख करोड़ रुपए कारपोरेट कंपनियों को थमा रही है ।
● #सीपीआई राज्य सचिव मण्डल सदस्य #शैलेंद्र_कुमार-शैली ने सरकार की नीति पर सवाल उठाया और पूछा कि सरकार बताती क्यों नहीं है कि निजीकरण के नुकसान छोड़ फायदे क्या हैं ? देश और जनता को नुकसान हैं, सिर्फ कारपोरेट को फायदा है । उन्होने बताया कि पब्लिक सैक्टर हर साल 150 लाख करोड़ रुपयों से ज्यादा का योगदान देता है ।
● वरिष्ठ #माकपा नेता #बादल_सरोज ने सार्वजनिक क्षेत्र के घाटे की बात को झूठ बताया और बीएचईएल, बीएसएनएल और बैंक के उदाहरण बताते हुये कहा कि कहा कि खुद सरकार पब्लिक सैक्टर को मार रही है ।
● पत्रकार वार्ता मे वाम तथा समाजवादी नेताओं ने कहा कि बाजार की महंगाई निरंतर बढ़ रही है और हालत यह है कि अभी प्याज के दाम 100 रुपये, लहसुन के 300 रुपये और दाल के 100 रुपये से जायादा हो चुके हैं । बाजार जनता को लूट रहा है और किसान कर्जदार होकर आत्महत्या करने को लाचार है । बेरोजगारी भयावह स्थिति तक पहुँच चुकी है ।
● लोसपा, सीपीआई, सीपीएम ने आम जनता, किसानो-मजदूरो,छोटे व्यापारियों तथा उन सभी राजनाइटिक दलों, समूहों से जो इन हालातों के खिलाफ हैं से अपील की है कि वे 8 जनवरी की देशव्यापी आमहड़ताल के एतिहासिक प्रतिरोध मे सहभागी बने और अपना कारोबार शांतिपूर्ण ढंग से बंद कर बाहरी सरकार के कानो तक आवाज पहुंचाये ।