भाजपा लगातार हार से इतनी परेशान है कि वह किसी भी कीमत पर,किसी भी हद तक जाकर ,दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है

दिल्ली के लोगों को धर्मों में बाँटकर देखा नहीं जा सकता मगर भाजपा लगातार हार से इतनी परेशान है कि वह किसी भी कीमत पर,किसी भी हद तक जाकर ,दिल्ली विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है।इसकी जो भी कीमत देश को चुकानी पड़े। संघियों ने यही भूमिका आजादी से पहले निभाई थी और गाँधीजी की हत्या तक यही उसकी भूमिका रही।थोड़ा नरम पड़कर फिर वह उसी पटरी पर आ चुकी है।


अमित शाह को शरजील इमाम का वक्तव्य तो याद आ रहा है मगर हमारे गृहमंत्री इतने अक्षम हैं कि उसे गिरफ्तार नहीं कर पा रहे, जिसकी गिरफ्तारी से किसी को कोई आपत्ति है नहीं।जो कानूनी सम्मत हो करो मगर करेंगे कुछ नहीं ,उसके वक्तव्य का चुनाव तक राजनीतिक फायदा उठाएंगे। इन्हें अपने उम्मीदवार कपिल मिश्रा याद क्यों नहीं आ रहे हैं, जिनकी रैली में गोली मारो सालों के नारे लगे थे,जो दिल्ली के चुनाव को भारत-पाकिस्तान की प्रतियोगिता बता रहे थे,जो शाहीनबाग को मिनी पाकिस्तान बता रहे थे। क्या यह देशभक्ति है? नफरत फैलाना देशभक्ति है?उन्हें अपने प्रधानमंत्री याद नहीं आ रहे ,जो सीएए और एन आर सी का विरोध करनेवालों की पहचान उनके कपड़ों से कर रहे थे? और अभी चुनाव की तिथि और पास आने दीजिये, वह इससे भी आगे बढ़कर दिखाएँगे।गृहमंत्री ने स्वयं शाहीनबाग को लेकर जो टिप्पणियाँ कीं,उन पर उन्हें अपनी मंत्री पद की जिम्मेदारियों के चलते शर्म आई?और अपने उस मंत्री अनुराग ठाकुर पर जिसने खुलेआम देश के गद्दारों को नारा लगाया? पार्टी और सरकार ने उनके खिलाफ कुछ किया, करेगी?,क्या यह समझा जाए कि ऊपर के इशारे पर ही उनकी हिम्मत इतनी बढ़ी?
इन पर कोई कानून लागू होता है या नहीं।सीआरपीएसी की धाराएँ इनके लिए बनी हैं या नहीं?



सवाल यह है कि गद्दारी क्या है?शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रकट करना,संविधान की बात करना या धर्म के आधार पर स्थानीय चुनाव में मतदाताओं को बाँटना?एक कौम की ओर इशारा करके उसे गद्दार कहना?क्या आज तक किसी सरकार ने अपनी ही आबादी के एक हिस्से को लेकर ऐसी टिप्पणी की?क्या देश की सर्वोत्तम अदालत तुरंत संज्ञान लेगी?


हाँ मैं शाहीनबाग के साथ हूँ और मैं किसी भी कीमत पर देश के गद्दारों का नारा लगाने वाले नेताओं और पार्टी के साथ नहीं हो सकता।मेरी धर्मनिरपेक्ष आस्थाएं मुझे कभी ऐसी पार्टी के साथ खड़ा नहीं कर सकतीं। मैं सोचता हूँ कि यही आपकी भी प्रतिज्ञा भी होगी,होनी चाहिए।यह देश ही नहीं पूरी मानवता का सवाल है।पूरी दुनिया हम पर थू थू कर रही है और हमारी सरकारी पार्टी सिर्फ़ दिल्ली का चुनाव जीतने के लिए सारी हदें पर कर रही है!


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