रघुवीर सहाय, दुष्यंत कुमार (स्मृति दिवस)

· 
हमारे पुरोधा
---------------

★ रघुवीर सहाय


रघुवीर सहाय की गणना हिंदी साहित्य के उन कवियों में की जाती है जिनकी भाषा और शिल्प में पत्रकारिता का प्रभाव होता था और उनकी रचनाओं में आम आदमी की व्यथा झलकती थी। रघुवीर सहाय एक प्रभावशाली कवि होने के साथ ही साथ कथाकार, निबंध लेखक और आलोचक थे। वह प्रसिद्ध अनुवादक और पत्रकार भी थे। अज्ञेय के दूसरा सप्तक के कवि रघुवीर सहाय को वर्ष 1982 में उनकी पुस्तक 'लोग भूल गये हैं' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। सीढ़ियों पर धूप में, आत्महत्या के विरुद्ध, हँसो, हँसो, जल्दी हँसो, लोग भूल गए हैं, कुछ पते कुछ चिट्ठियाँ, एक समय था (कविता संग्रह ) रास्ता इधर से है, जो आदमी हम बना रहे हैं (कहानी संग्रह) दिल्ली मेरा परदेस, लिखने का कारण, ऊबे हुए सुखी, वे और नहीं होंगे जो मारे जाएँगे, भँवर, लहरें और तरंग, अर्थात, यथार्थ का अर्थ (निबंध संग्रह ) बरनमवन (शेक्सपियर के नाटक 'मैकबेथ' का अनुवाद), तीन हंगारी नाटक (अनुवाद) आदि चर्चित कृतियां हमें दी हैं।


★दुष्यंत कुमार 


सूर्य का स्वागत, आवाज़ों के घेरे,जलते हुए, वन का वसंत,साए में धूप, एक कंठ विषपायी कृतियों के कृतिकार समकालीन हिन्दी कविता विशेषकर हिन्दी ग़ज़ल के क्षेत्र में जो लोकप्रियता दुष्यंत कुमार को हासिल है वह किसी अन्य को नहीं। दुष्यतं की कई रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं।