रतलाम में पत्रकारों से चर्चा में पूर्व सांसद सुभाषिणी अली ने कहा कि देश आज बड़ी चुनौतियों से गुजर रहा है। अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ठप्प हो चुकी है। बेरोजगारी की दर पिछले पांच दशक में सबसे उपर है। पिछले छः माह में लाखों लोगों का रोजगार जा चुका है। कृषि संकट और विकराल हो रहा है। जनता महंगाई की मार से परेशान है। प्याज की कीमतें आसमान छू रही है। मगर विडंबना देखिये कि जो सरकार प्याज की कीमतों को नियंत्रित नहीं कर पा रही है, वह देश को नियंत्रित करने की बात कर रही है।
● उन्होंने कहा कि इस सरकार को सिर्फ चंद कारपोरेट घरानों की चिंता है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण किया जा रहा है। शिक्षा और स्वास्थ्य को भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। निजीकरण की इस मुहिम के खिलाफ देशव्यापी अभियान जारी है।
● उन्होंने बताया कि देश भर के मजदूर और कर्मचारी 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल करेंगे। इस दिन किसानों और ग्रामीण जनता ने ग्रामीण भारत बंद का आव्हान किया है। अपनी पार्टी #सीपीएम की ओर से इस बंद के आव्हान का उन्होंने समर्थन किया ।
● उन्होंने कहा कि हर मोर्चे पर विफल सरकार अब देश के संविधान और धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर हमले कर रही है। नागरिकता संशोधन कानून के जरिए भाजपा ने देश के संविधान और धर्मनिरपेक्ष ढांचे पर हमला किया है। इस कानून के जरिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने जनता को सीधी चुनौती दी है। क्या यह विचित्र बात नहीं है कि जो सरकार हमारे ही वोट से बनी है। वह हमसे ही नागरिकता का प्रमाण पत्र मांग रही है। यह सरकार धर्म के आधार पर जनता को बांट कर देश को विभाजन की ओर लेजाना चाहती है।
● उन्होंने कहा कि यह कानून सिर्फ अल्पसंख्यकों के ही खिलाफ नहीं है। देश के हर नागरिक को अपनी नागरिकता का प्रमाण देना होगा। प्रश्न यह है कि आदिवासी, दलित, भूमिहीन और प्रवासी मजदूर यह प्रमाण पत्र कैसे दे पायेंगे। उनकी नागरिकता खतरे में पड़ जायेगी। सुखद बात यह है कि इसके खिलाफ देश भर के नागरिक मिल कर लड़ रहे हैं। सीपीएम इस लड़ाई का समर्थन करती है।
● सुभाषिणी अली ने कहा कि भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार का जनविरोधी और तानाशाही चेहरा भी सामने आया है। प्रदर्शनकारियों पर दमन कर सरकार ने अपने फासीवादी चरित्र का उजागर कर दिया है। मगर इसके बाद भी देश भर की जनता एकजुट होकर मोदी सरकार का विरोध कर रही है।
● मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलिट ब्यूरो सदस्या सुभाषिणी ने नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में मिलकर लड़ने का आव्हान किया ।
● उनके साथ सीपीएम केंद्रीय समिति सदस्य, मप्र राज्य सचिव जसविंदर सिंह तथा जिला सचिव एम एल नगावत भी मौजूद थे ।