पूर्व आईपीएस दारापुरी हिंसा भड़काने के आरोप में जेल में






 






उत्तर प्रदेश पुलिस ने गत 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शनों के मामले में रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है.


19 दिसंबर को हुई हिंसा में अभी तक 45 लोगों को गिरफ़्तार कर जेल भेजा जा चुका है. जबकि कई अन्य लोगों की तलाश अभी जारी है.


हज़रतगंज  पुलिस  ने  ''एस आर दारापुरी को हिंसा भड़काने और साजिश रचने के मामले में धारा 120 बी के तहत गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया है. उन्हें शुक्रवार को ही हिरासत में ले लिया गया था और फिर शनिवार को जेल भेज दिया गया. इस मामले में गिरफ़्तारियों का क्रम अभी जारी है.''


19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने प्रदर्शन का आह्वाहन किया था. देश के तमाम हिस्सों में हुए प्रदर्शनों के दौरान कई जगहों पर हिंसा हुई और कई लोग मारे भी गए.


लखनऊ में भी परिवर्तन चौक पर प्रदर्शन के दौरान आस पास के इलाके में जमकर हिंसा हुई थी. जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए थे.


घायलों में प्रदर्शनकारियों के अलावा कई पुलिसकर्मी और मीडिया के लोग भी शामिल थे.


विरोध प्रदर्शनों के हिंसक होने के साथ ही पुलिस ने लोगों की धरपकड़ शुरू की. वीडियो फुटेज के आधार पर कई लोगों को हिरासत में लिया गया था.


लेकिन पुलिस के मुताबिक जिन लोगों की संलिप्तता साबित नहीं हो सकी, उन्हें पुलिस ने छोड़ दिया.


एस आर दारापुरी के परिजनों के मुताबिक उन्हें पुलिस ने प्रदर्शन से पहले ही नज़रबंद कर रखा था और उन पर निगरानी रखी जा रही थी.


इन लोगों के मुताबिक एस आर दारापुरी को इसलिए जेल भेजा गया है क्योंकि वो नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे थे.


'नाकामी छिपाने के लिए बुद्धिजीवियों पर निशाना'


एस आर दारापुरी आईपीएस रहे हैं और उत्तर प्रदेश पुलिस में महानिरीक्षक के पद से रिटायर हुए हैं. सामाजिक मामलों और आंदोलनों में उनकी अक्सर भागीदरी रही है.


लखनऊ में ही रहने वाले मेग्सेसे पुरस्कार विजेता और सोशलिस्ट पार्टी के नेता संदीप पांडे बताते हैं कि पुलिस ने 19 दिसंबर को होने वाले प्रदर्शनों से पहले कई बुद्धिजीवियों को नज़रबंद कर रखा था. ताकि ये लोग ना तो खुद प्रदर्शनों में पहुंच सकें और ना ही दूसरों से वहां पहुंचने की अपील कर सकें.


संदीप पांडे के मुताबिक, ''हम लोग विरोध प्रकट करने के लिए शांतिपूर्ण तरीकों में ही विश्वास करते हैं और प्रदर्शनों में हुई हिंसा की निंदा करते हैं. ये हिंसा कुछ शरारती तत्वों द्वारा की गई जिन्हें रोकने में पुलिस नाकाम रही. अपनी नाकामी को छिपाने के लिए वो बुद्धिजीवियों और शांतिप्रिय लोगों को प्रताड़ित कर रही है.''


19 दिसंबर के बाद राज्य के कई हिस्सों में लगातार हिंसक प्रदर्शन होते रहे, जिनमें 15 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य के डीजीपी ओपी सिंह के मुताबिक राज्य में हुई हिंसा में शामिल अभी तक 879 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.














 






नागरिकता संशोधन क़ानूनः कानपुर के बाबूपुरवा, यतीमख़ाना इलाके में हिंसक विरोध प्रदर्शन


ओपी सिंह का कहना है कि प्रदर्शनों के दौरान सरकारी संपत्ति को जो भी नुकसान हुआ है उसके लिए जुर्माने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. प्रदर्शनकारी अगर जुर्माना नहीं देंगे तो उन्हें या तो जेल जाना होगा या फिर उनकी संपत्ति कुर्क की जाएगी.