लोकतंत्र बहाल यात्रा को जम्मू से कश्मीर में प्रवेश करने से रोका गया। 


आज तीसरे दिन लोकतंत्र बहाल यात्रा को जिला रामबन पर पुलिस प्रशासन द्वारा धारा 144 लगाकर आगे बढ़ने से रोक दिया। पुलिस ने यात्रा को उधमपुर जिला पार कराकर ये सुनिश्चित किया कि यात्रा आगे न बढ़ पाये। पुलिस अधिकारियों द्वारा यात्रियों और पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार किया गया।  


इसके पहले यात्रियों ने सुबह बस स्टैंड और बाजार में पर्चे बांटे और एक जनसभा का भी आयोजन हुआ जिसे शेख अब्दुल गुलाम और आई.डी. खजूरिया,  डॉ. सुनीलम और संदीप पांडे आदि ने संबोधित किया। लेकिन बाद में न तो पर्चा बांटने दिया गया और न ही यात्रा के साथियों को स्थानीय लोगों से बातचीत करने दिया गया तथा जो स्थानीय नागरिक यात्रा की मदद करना चाहते थे उन्हें पुलिस ने डराया-धमकाया। इस तरह यात्रा को रोक दिया गया है। 


संदीप पांडे ने कहा कि तीन दिन के यात्रा के अनुभव से ये स्पष्ट है कि जम्मू कश्मीर में नागरिक अधिकारों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा हुआ है। वहां स्थिति सामान्य नहीं है, जैसा कि केन्द्र सरकार बार-बार दावा करती है। पिछले तीन दिनों में पुलिस ने यात्रियों को पैदल चलने से, नारा लगाने से, प्रैस कान्फ्रेंस करने से, पर्चा बांटने से और लोगों का साक्षात्कार करने से रोका। जबकि स्थानीय लोगों में से ज्यादातर लोग यात्रा का समर्थन कर रहे थे और उन्हें आश्यर्च भी हो रहा था कि हिन्दुस्तान के अलग-अलग इलाकों से लोग आकर जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर यात्रा निकाल रहे हैं। जनता के अंदर आतंक का माहौल है और पुलिस अभी भी उसे बनाए हुए है। उदाहरण के लिए जो पर्चे यात्रियों की तरफ से बांटे जा रहे थे पुलिस उन्हें वापिस ले रही थी। स्थानीय लोगों की यह भी शिकायत है कि केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद नौकरशाही पूरी तरह से हावी है और लोगों के अधिकार पहले से कम हो गए हैं। 


राजेन्द्रन नारायणन ने कहा कि यहां रामबन में एक ही जिला अस्पताल है और लोगों का ये कहना था कि वहां  सीटी स्कैन की एक ही मशीन है जिसे चलाने के लिए पिछले 10 सालों से कोई आपरेटर भी नहीं है। वहां छोटे-छोटे व्यापारियों की हालत खराब है। एक फल वाले ने बताया कि 5 अगस्त के बाद उनका तकरीबन साठ हजार का नुकसान हुआ। वो अपने फलों को बेच नहीं पाये जिससे उन्हें अपने फलों को फेंकना पड़ा। मोबाइल फोन और इंटरनेट का बिजनेस करने वालों का कहना था कि उनका बिजनेस 75 प्रतिशत कम हो गया। बाकी छोटे-छोटे दुकानदारों का कहना है कि उनका 70 से 75 प्रतिशत बिजनेस कम हो गया है। 


अगस्त से फौज बहुत ज्यादा बढ़ गई है जिसकी वजह से लोग अभी भी घर से बाहर निकलने में घबरा रहे हैं उनके दिमाग में अभी भी बहुत डर है। यदि कहीं पर तीन-चार आम नागरिक एकत्र हों और वो अपनी सहमति से हमसे बात करना चाहें तो भी उन्हें हमसे बात नहीं करने दी जा रही है। रामबन के मैत्रा में एक पुल है जिसमें कुछ खराबी के चलते पिछले तीन महीने से उसपर केवल प्रशासन के लोग ही आ-जा रहे थे उसमें आम नागरिकों को जाने नहीं दिया जा रहा था। अभी कल से ही उसे आम नागरिकों को भी जाने की अनुमति मिली। यदि उस विषय पर कोई सवाल भी पूछे तो उसे कहा जा रहा है कि यदि आप चाहें तो लिखित में मेमोरेंडम दे सकते हैं लेकिन यदि आप मौखिक तौर पर कुछ कहेंगे तो हम आपको पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत जेल में डाल देंगे। अर्थात लोगों को मिलकर पुल को ठीक करने की आजादी भी नहीं है।  


पूर्व विधायक और बंग्लादेश भारत पाकिस्तान पीपुल्स फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सुनीलम ने कहा कि यात्रा को रोके जाने से यह साबित हो गया है कि सरकार जम्मू कश्मीर की सच्चाई को छुपाना चाहती है। एक तरफ सरकार द्वारा यूरोपियन यूनियन के सांसदों को कश्मीर भेजा जाता है वहीं दूसरी तरफ 11 संगठनों की यात्रा को कश्मीर प्रवेश से रोक दिया जाता है। डॉ. सुनीलम ने यात्रियों तथा पत्रकारों से दुर्व्यवहार करने वाले रामबन के एसएचओ को तुरंत निलंबन करने की मांग की। 
डॉ. सुनीलम ने बताया कि शीघ्र ही कश्मीर एकजुटता मार्च में शामिल यात्रियों द्वारा यात्रा के अनुभव की रिपोर्ट लेफ्टिनेंट गर्वनर जम्मू कश्मीर तथा ग्रह मंत्री को सौंपी जायेगी तथा प्रेस वार्ता आयोजित कर सांझा की जायेगी।