#शुभा_जी_ने_कहा
🔵 कंगना रनौत के सन्दर्भ में महिला होने की दुहाई हास्यास्पद है. वे निरंकुश मर्दानगी का वीभत्स रूप प्रस्तुत कर रही हैं. बम्बई को पाक अधिकृत कशमीर कहना, अपने दफ्तर को राममन्दिर और उस पर बाबर के हमले जैसे रूपक पेश करना, न केवल अति हिंसक भाषा है बल्कि इसमें दक्षिपंथी राजनीति द्वारा घृणा और हिंसा फैलाने के लिये उपयोग में लाए जा रहे गढ़े हुए बिम्ब हैं . मैं उनसे बहुत निराश हुई हूं.
🔵 एक संघर्ष शील अभिनेत्री की प्रामाणिक भाषा वे नहीं बोल रही हैं. वे एकाधिकारवादी निरंकुश हिंसक भाषा का इस्तेमाल कर रही हैं. यह भाषा एक स्त्री ,एक अभिनेत्री की अनुपस्थिति को दर्ज करा रही है।
🔵 उन्होने इस समय अपने को पितृसत्ता के सबसे घिनौने रूप - हिंसक अधिनायकवाद की परम भक्त के रूप मे पेश किया है।करणी सेना अकारण ही उनके समर्थन में नहीं आई है। करणी सेना पद्ममावत फिल्म के सन्दर्भ मे अपना स्त्री द्रोह, जौहर और सती जैसे मध्ययुगीन कर्मकांड के हिंसक समर्थन और अनेक तरह की हिंसा से लगातार प्रमाणित करती रही है.
🔵 रानी लक्ष्मीबाई की छवि का अपहरण करके उनके ही विरुद्घ उसका इस्तेमाल किया जा रहा है। लक्ष्मीबाई न तो सती हुई थीं, न ही उन्होने जौहर किया था. न उन्होने हमलावर सत्ता से कोई समझौता किया। उन्होने अंग्रेजों की तानाशाही और एकाधिकारवाद का विरोध करते हुए शहादत पाई। वे सत्ता के लिये नहीं , अपने वतन के लिये लड़ीं.
🔵 कंगना रनौत की सुरक्षाकर्मियों के सुरक्षा-चक्र के बीच चलते हुए जो छवि सामने आ रही है, उसमें उनकी बाडी लैंग्वेज एक माफिया सरगना जैसी दिखाई पड़ रही है।
🔵 हम सब जानते हैं, फिल्म जगत की बहुत सी समस्याएं हैं जैसे हर क्षेत्र की अपनी समस्याएं होती हैं. उन पर चढ़कर केन्द्र सरकार का वरद हस्त प्राप्त करना सत्ता की दलाली का बड़ा संकेत है।
🔵 बहुत लोगों के घर गिराए जा रहे हैं , बहुत लोगों को धमकियां मिल रही हैं , उन्हें सुरक्षा का कोई झूठा आश्वासन भी नहीं मिल रहा. जो सत्ता उन्हें उजाड़ रही है उसी सत्ता के हाथ में कंगना जी खेल रही हैं।
🔵 मेरा विनम्र निवेदन है कि मौजूदा स्त्री-शरीरधारी , सत्ताविक्षिप्त इस नए चरित्र की पुख़्ता शिनाख़्त करें। हम इसे साध्वियों, राष्ट्रसेविकाओं आदि के नये-नये अवतारों में रोज भुगत रहे हैं. इसका ताजा संस्करण एक अभिनेत्री के रूप में प्रकट हुआ है .
(Shubha जी की वॉल से )
मौजूदा स्त्री-शरीरधारी , सत्ता विक्षिप्त इस नए चरित्र की पुख़्ता शिनाख़्त करें।