अब आए असली कोरोना योद्धा !

 


दुनिया कोरोना की दवा और टीके पता नहीं कबतक खोज और बना पाएगी, लेकिन हमारे देश के वैज्ञानिक दृष्टिसंपन्न, दूरदर्शी शराबियों ने कोरोना काल के अवतरण के साथ ही इसका कारगर इलाज़ बता दिया था। उनके ऐसे कई फेसबुक, ट्विटर पोस्ट और वीडियो वायरल हुए जिनमें कहा गया था कि जब अलकोहल मिश्रित सैनेराइजर से हाथों पर मौज़ूद कोरोना को मारा जा सकता है तो पानी मिश्रित अलकोहल पीकर मुंह, गले, भोजन नली और पेट में निश्चिंत टहल रहे शत्रु कोरोना का विनाश क्यों नहीं किया जा सकता ? बात में दम भी था और तर्क भी। बहुत दिनों के तर्क-वितर्क और संकोच के बाद अंततः भारत सरकार और बिहार जैसे कुछ अभागे राज्यों को छोड़ अन्य सभी राज्यों ने शराबियों की इस अप्रतिम खोज को मान्यता दे दी। लॉकडाउन-3 में आज से ऑरेंज और ग्रीन जोन में कुछ शर्तों के साथ मदिरा की दुकानें खुल गई हैं। कई शहरों से आ रही तस्वीरों से पता चलता है कि शर्तों की धज्जियां उड़ाते हुए मदिरा की दुकानों में ग्राहकों की लंबी-लंबी कतारें लगी हैं। राशन की दुकानों से भी लंबी। फर्क़ यह है कि राशन की दुकानों में खड़े लोगों के चेहरों पर जहां दुख और हताशा के दर्शन होते है, मदिरालयों में पंक्तिबद्ध लोगों के चेहरों पर गज़ब का आत्मविश्वास और तेज है। उनके दीप्त चेहरों को देखकर मेरा यह भरोसा पक्का हुआ है कि जैसे ऋग्वैदिक काल में देवराज इंद्र सोमरस का सेवन करने के पश्चात गर्जन-तर्जन करते हुए असुरों के संहार के लिए वनों और गुफाओं की ओर प्रस्थान कर जाते थे, हमारे ये पियक्कड़ भाई-बंधु आज संध्या ही सुरा का सेवन कर पहले स्वयं को कोरोनामुक्त करेंगे और फिर गर्जन-तर्जन करते हुए अपने मुहल्लों की नालियों या कम से कम घरों के शौचालयों में डूबकर एक-एक कोरोना को उसके अंजाम तक अवश्य पहुंचा देंगे। 


नशाबंदी का अभिशाप झेल रहे हम बिहारवासियों के मन में इस कोरोना यज्ञ में योगदान न दे पाने की कसक अवश्य है, लेकिन जिन-जिन राज्यों ने अपने शराबियों को संकट की इस घड़ी में कोरोना-योद्धा बनने का सम्मान और सुअवसर दिया है, उन्हें हमारा सलाम !


ध्रुव गुप्त