ये किस तरह का विष फ़ैलाने में मुट्ठी भर लोग लग गए. सरकार इन्हें रोकती क्यों नहीं?

ये किस तरह की घृणा फैलाई जा रही है? वैसे मुसलमान, जो डॉक्टरी निर्देशों का पालन कर रहे हैं, उसकी चर्चा तो नहीं होती !


ये कश्मीर के गांदरबल की तस्वीर है, जहाँ बैंक के आगे अपनी बारी की प्रतीक्षा में ग्राहक बैठे हैं. दूसरी वीभत्स तस्वीरें कुछ चैनलों, सोशल मीडिया के षड्यंत्रकारियों द्वारा प्रस्तुत है, जिसमें बोतल में पेशाब भरकर लोगों पर तथाकथित जमात वाले छिड़कते दिखाए जा रहे हैं.


मेरे बगल के अपार्टमेंट में पुराने परिचित हैं. बायोलॉजी के टीचर हैं.  सुबह फोन पर हालचाल के दौरान बताया कि उन्होंने फल लेना बंद कर दिया. उन्हें किसी ने अच्छे से समझा दिया था कि फलों पर मुसलमान थूक देते हैं. उन्हें जो मुसलमान लड़का पानी के जार हर तीसरे दिन सप्लाई करता था, उसे भी उन्होंने रोक दिया है.
उन शिक्षक को मैं जानता हूँ. खुद बहुत सरल हैं, और उनका सीधा-साधा परिवार है. दुःख की बात यह है कि ऐसे लोग भी अफवाहों में बह गए. उन्होंने माज़रा समझा है, शायद वो पटरी पर लौट आएं.


वाकई हैरानी होती है, ये किस तरह का विष फ़ैलाने में मुट्ठी भर लोग लग गए. सरकार इन्हें रोकती क्यों नहीं? रोके भी कैसे,  खुद जब मंत्रालय इसकी पुष्टि करने लगे कि कोरोना बढ़ा है तब्लीगी जमात की वजह से. तो क्या देश के सारे मुसलमानों पर संदेह करोगे? उनका हुक्का-पानी बंद करा दोगे?


Pushp Ranjan