बाबा साहब को मानव ही रहने दो वरना जैसे ही महामानव, महापुरुष मानोगें वो सिर्फ मूर्ति से जड़ हो जायेंगे

सुनो ऐ इंसानों!!!


सुनो तुम सय्यद थे, तुम ख़ान बहादुर थे, और शेख़ साहब थे,तुम ही नवाब पठान बहादुर थे और तुमने अपने अलावा बाक़ी के जो मुसलमान थे भारत में उनको कैसे कैसे ज़लील किया है तुम जानते हो(थोड़ा सा हम भी जानते हैं).तुम जब कहीं फंसने लगते हो दुनियादारी, बेबाक और लाजवाब सवालों में या तर्क नही दे पाते हो तो फ़ौरन कहते हो कि अल्लामा इक़बाल ने कहा"....एक ही सफ़ में खड़े हो गए महमूद ओ अयाज़"
पर सच तो तुम जानते हो न कि 15 पर्सेंट की आबादी के बावजूद तुम बुर्जुवा जैसे बर्ताव करोगे ही क्योंकि तुम ने जब इस्लाम अपनाया था तो स्वघोषित सवर्ण बन बैठे और सारी आर्थिक , सामाजिक और संस्थानिक तंत्र पर क़ब्ज़ा कर लिया और वो 85 पर्सेंट जुलाहे, धुनिया, नाइ, तेली, धोबी, अपनी सामाजिक प्रताड़ना, आर्थिक तंगी के बाद भी जब आज जब कार से, बाइक से तुम्हारे घरों के सामने ज़र्रर से गुज़रता है तो तुम्हारा सवर्ण सहन नहीं कर पाता इसलिए तुमने अपने चौबारों, दालानों के बाहर ऊँचा सा स्पीड ब्रेकर बनवा लिया। यह न समझना कि यह छोटी ज़ात वाले नहीं समझते, इसलिए वो तुम्हारी हवेलियों के सामने से गुज़रते वक़्त ज़ोर से हार्न बजाते हैं और पूरा पाँव एक्सीलेटर पर डाल लेते हैं ताकि कि तुम्हारे ग़ुरूर को शिकस्त दे सकें।ख़ैर तुम नहीं समझोगे क्योंकि तुम्हे कभी य नहीं सुनना पड़ा न" अबे चमार हो का, इतना खाते हो जुलाहा हो का, अबे नौव्वा कल दाढ़ी क़ायदे से बनाये नहीं तो लतिया दे गे।"
तुम्हारे ये सारे चरित्र सामन्तवादी ब्राह्मणवाद से बिलकुल मिलती हैं जिनकी किताबों में लिख दिया गया है "शुद्र, पशु, नारी...."जिनके अनुसार सवर्ण हिन्दू शेष जातिओं पर राज करने को पैदा किया है ब्रह्मा ने वरना 21 सदी में भी आज के सरकार की नेत्रियां ऐसे बयान न देती कि जो कल तक हमारे जूते साफ़ करते थे....,
सोचो 125 साल पहले बाबा साहब को कितनी दुर्गम परिस्थितियों को जिया होगा। जब उनको पानी के कुंएं से पानी लेने से रोका गया होगा।।
उस महान परिवर्तन वादी मानव को सैकड़ों नमन, आज उनकी जयंती के मौके पर। और अनुरोध उन 85 प्रतिशत लोगो से कि बाबा साहब को मानव ही रहने दो वरना जैसे ही महामानव, महापुरुष मानोगें वो सिर्फ मूर्ति से जड़ हो जायेंगे जिसपर साल में दो बार राजनैतिक और सांकेतिक समारोह आयोजित होंगे और विचार मृत हो जायेंगे उनके जिसको वर्तमान में और सशक्त रूप में आंदोलित करने की आवश्यकता है।
और हाँ! मेरे एक ही सफ़ में खड़े महमूद और अयाज़ भाई आक्रोशित हो कर गरियाइए गा नहीं वरना हम और कुख्यात हो सकते है और न हमारे लिए फ़तवा लाइयेगा क्योंकि फ़तवा आदेश नहीं है प्रश्न का उत्तर मात्र है जिसको मानना बाध्यता नहीं है।और वैसे भी हम डरते 
और आईये ईश्वर से, सॉरी अल्लाह से दुआ करें कि मीम को आज के दौर में कोई भीम दे दे।
जय भीम 
#बाबाभीमरावरामअम्बेडकर अमर रहें और उन जैसे हज़ारों लाखों लोगों ने मिलकर दुनिया की सबसे बेहतरीन प्रशासनिक व्यवस्था लोकतंत्र के लिये अपनी जानो की क़ुरबानी दी है, उन्हें नमन!!


डॉ ख़ुर्शीद अहमद"अंसारी" (आज इनेवर्टेड कॉमा में लिखा है)