दिल्ली में हा - हा कार  कौन है इसका जिम्मेदार ?


अब यह बहस बेमतलब है कि
दंगे में कौन गलत है और कौन सही  l असली सवाल यह होना चाहिए कि सरकार और उसकी पुलिस क्या कर रही थी ?
 दिल्ली में हिंसक तांडव के लिए सरकार और उनकी पुलिस अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती l इसलिए  सवाल किसी और से नहीं सरकार से पूछा जाना चाहिए ?


आमतौर पर हिंसक भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस लाठीचार्ज ,अश्रु गैस या हवाई फायर का इस्तेमाल करती है l सवाल उठता है कि दिल्ली में यह सब क्यों नहीं किया गया ? हिंसा और प्रतिहिंसा पर आमादा भीड़ को रोकने में दिल्ली पुलिस इतनी असहाय क्यों नज़र आ रही है ?
पुलिस का तटस्थ , उदासीन रहकर मूकदर्शक बना रहना कई सवाल खड़े करता है l कई वीडियो में पुलिस दंगाईयों की सहयोगी और मार्गदर्शक जैसी नज़र आ रही है अगर यह सच है तो सचमुच चिंता की बात है l
दिल्ली पुलिस जामिया की लाइब्रेरी और जेएनयू में घुस कर छात्र छात्राओं की बेरहम पिटाई तो कर सकती है लेकिन सड़क पर हिंसा पर उतारू भीड़ से निपटने के लिए उसके पास मात्र ईंट और पत्थर है l पुलिस का डंडा - बंदूक अश्रु गैस कहाँ गई ? सीधे गृह मंत्रालय भारत सरकार के आधीन कार्यरत दिल्ली पुलिस  की अचानक इतनी दयनीय स्थिति भी चिंता की बात है l
Gopal Rathi