"तू आया है, तो जायेगा
हम रोटी–भात खायेगा।
तू लोहा–सोना खोदेगा
हम खेत में नागर जोतेगा।
तू हीरा-पन्ना बेचेगा
हम गाछ पे पानी सींचेगा।
तू सेल्फी फोटू खींचेगा
हम फटा-चिथन्ना फींचेगा।
तू पुलिस फ़ौज संग नाचेगा
हम पोथी-पन्ना बांचेगा।
तू ऊपर चढ़ इतरायेगा
हम नीचे से मुसिकायेगा।
तू सरग-नसैनी धायेगा
हम सागर बन लहरायेगा।
तू तोप-तुपक से गरजेगा
हम झम-झम पानी बरसेगा।
तू शाही भोग उड़ायेगा
हम चना-चबैना खायेगा।
सब ठाठ धरा रह जायेगा
तू अपनी गत को पायेगा।
मुफलिस को और सतायेगा
तेरा लोहा गल जायेगा।
तू छापा-तिलक लगायेगा
हम कबिरा के घर जायेगा।
तू घंटा-शंख बजायेगा
हम खुसरो के दर जायेगा।
तू पाया है, तो खोयेगा
हम खोया है, तो पायेगा।"
उदय प्रकाश जी।