आज नर्मदा भवन भोपाल में दूसरे दिन धरना जारी रहा, इसमे सरदार सरोवर बाँध के विस्थापितों व सेंचुरी के मजदूर श्रमिक के मुद्दों पर जनसुनवाई की गई थी।जनसुवाई में प्रमुख हरदेनिया जी(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक,), जयवन्तसिंह जी (किसान सभा मध्यप्रदेश अध्यक्ष, माकपा ), नामदेव जी (गांधीवादी विचार), शरदचन्द्र बेहर जी ( भूतपूर्व मुख्य सचिव मध्यप्रदेश) के द्वारा जनसुवाई की गई।
इसमे प्रमुख कमला यादव, छोटा बड़दा से कहा कि सरदार सरोवर बाँध के विस्थापितों के लिए नर्मदा ट्रिव्यूनल फैसला, सुप्रीम कोर्ट आदेश 2000, 2005, 2017, राज्य की पुनर्वास नीति, शिकायत निवारण प्रधिकरण के आदेशों का पालन आज तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के द्वारा नहीं किया गया है, इसका उलंघन किया गया है। नर्मदा घाटी के कई सारे गाँवो खत्म हो चुके है।
कमला केवट (राजघाट कुकरा) हमारा पूरा गांव डूब चुका है, हमारे रोजगार खत्म हो गई है, हम टीनशेड में रहने के लिए मजूबर किया गया है, भोजन, चारा, राहत शिविर बंद हो गए हैं।
पेमा भिलाला ( अवलदा) सरदार सरोवर बाँध में बिना भूअर्जन की कृषि भूमि डूब चुकी है, कई सारी कृषि भूमि टापू रास्ते बंद हो चुके गए इसके कारण किसानों को लाखों करोड़ों रु का नुकसान है।
श्यामा मछुआरा (पिछोडी ) जहाँ जमीन डूबी पानी मछली कैसे तुमारी इस प्रकार का नारा लगा है सरदार सरोवर बाँध के जलाशय पर महासंघ बना कर अधिकार दिया जाए। सरदार सरोवर बाँध के मछुआरों की मध्यप्रदेश में 32 समिति पंजीयन किया गया है।
दादुसिह सोलंकी (एकलबारा) ने कहा कि हमारे गांव में सरदार सरोवर बाँध के जलस्तर बढ़ने के कारण पिछले 2 महीने भूकंप शुरू हो गया है, हमारे गाँव की सेकड़ो एकड़ जमीन टापू बन गई है, हमारे गाँव को कई बार 19 मकानों का भूअर्जन नहीं हुआ है। पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।
जामसिंह पिता जलाल (अमलाली) ने कहा 52 मकानों को टिनशेट में रखा गया है, कृषि भूमि व मकान जलमग्न हो चुका है। 5.80 लाख रु में भृष्टाचार हुआ है।
पवन सोंलकी ( भादल) ने कहा कि हमारे गाँवो के कई परिवारो का पुनर्वास करना बाकी है। हमारे गांव में आज भी पंचनामे सही तरीके से नही बनाये गए है।
सिलदार भाई (भितड़ा) ने कहा कि हमारे गाँव को आदर्श घोषित किया गया है, आज भी कई सारे परिवारों का पुनर्वास करना बाकी हैं। जिन जमीनों को 25 प्रतिशत से कम बताया गया था, वास्तविक 25 प्रतिशत से अधिक डूब गयी है।आज भी घर प्लाट, 5.80 लाख रु मिलना बाकी है।
खेमा भाई ( जोबट बाँध) जोबट बाँध के 13 गाँव डूब चुके हैं, मध्यप्रदेश सरकार की पुनर्वास नीति राज्य की अनुसार घर प्लॉट /जमीन की पात्रता होने के बाद आज तक नहीं दिया गया है।
GRA के आदेशों के अनुसार पालन भी आज तक नहीं हुआ है।
इसी प्रकार से नर्मदा घाटी के रमेश केवट, दशरथ दरबार, राधा बहन, साधना दलित, मुकेश भाई अन्य विस्थापितों के द्वारा बात रखी गई थी।
इस प्रकार से सेंचुरी के श्रमिक की ओर से सत्येंद्र भाई की सेंचुरी की पूरी हकगीत रखी गई थी।
श्रमिको का रोजगार चाहिए है, हम कंपनी चलना चाहते है।
नर्मदा भवन पर धरना दूसरे दिन जारी सरदार सरोवर बाँध विस्थापितों की जनसुनवाई हुई।